Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: पीएमएफबीवाई (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 18 फरवरी २०१६ से प्रारम्भ की गयी है। यह योजना किसानो को उनकी उपज के लिए बीमा सेवा है। फसल बीमा योजना को वन नेशन-वन स्कीम थीम के अंतर्गत तैयार किया गया है।
वन नेशन-वन स्कीम थीम के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की विशेषताओं को भी शामिल किया गया है। साथ ही साथ अंतर्निहित कमियों को प्रतिस्थापित किया गया है।
फसल बीमा योजना किसानों की आय को स्थिर करने में सहायक है। योजना में प्रत्येक प्रकार के खाद्य और तिलहन और वार्षिक बागवानी फसलें भी शामिल हैं। फसलों के पिछले उपज के आंकड़े उपलब्ध हैं।जिनके लिए सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण के तहत अपेक्षित संख्या में फसल कटाई का प्रयोग किया जा रहा है।
PM Fasal Bima Yojana Overview
योजना का नाम | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) |
विभाग | कृषि एवं किसान कल्याण विभाग |
शुरू किया | केंद्र सरकार द्वारा |
लाभार्थी | भारत देश के किसान |
योजना का उद्देश्य | किसानों को आर्थिक सहायता |
दी जाने वाली राशि | 2 लाख रुपए |
हेल्पलाइन नंबर | 1800-180-1111 / 1800-110-001 |
आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन/ऑफलाइन |
अधिकारीक वेबसाइट | pmfby.gov.in |
फसल बीमा योजना पहले फसल ऋण / केसीसी लेने वाले ऋणी किसानों के लिए अधिसूचित फसलों के लिए खाता अनिवार्य था जबकि अन्य किसानों के लिए स्वैच्छिक था. लेकिन 2020 में योजना सुधार के दौरान इसे सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया। योजना का संचालन कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
फसल बीमा योजना के मुख्य लक्ष्य
पीएमएफबीवाई में किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएँ आईं, क्योंकि हज़ारों करोड़ रुपये का बकाया है। बीमा कंपनियाँ भी अलग- अलग स्कीम बता कर पैसे हड़प रही हैं। किसानों और कृषि स्थिरता का समर्थन करने के उद्देश्य से सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए, इच्छुक व्यक्ति पीएम योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
1. पीएमएफबीवाई का मुख्य उद्देश्य किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करना और पूरी बीमित राशि के लिए फसल बीमा दावे को शीघ्र निपटाना।
2. Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana में फसल की विफलता के खिलाफ एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना है। जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सकती है।
3. प्राकृतिक और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण फसल क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
4. किसानो की आय को स्थिर करना जिससे वो उपजाऊ खेती के लिए प्रयासरत रहें।
5. फसल बीमा योजना के तहत किसानों को नवीन और आधुनिक तकनीकी कृषि पद्धतियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
6. किसानों के क्षेत्र को ऋण प्रवाह बनाना, जिससे उन्हें खाद्य सुरक्षा और फसल विविधीकरण में योगदान मिले।
7. फसल क्षेत्र की वृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हो और साथ ही किसानों के उत्पादन जोखिमों से भी सुरक्षा मिलेगी।
(PMFBY) कार्य प्रक्रिया
फसल बीमा योजना प्रक्रिया विभिन्न स्थानीय क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर संचालित की जाती है, जिससे किसानों को फसल सम्बंधित हानि से बचाया जा सके।
1. (PMFBY) प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सबसे पहले किसान को अपनी पिछली उपज, भूमि का प्रकार, खेत का प्रकार जैसे जानकारी का पंजीकरण कराना होता है।
2. फसल की उपलब्धता और विकास की निगरानी की जाती है, यह निगरानी बीमा द्वारा दवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
3. अधिकतर बीमा कंपनियां PMFBY और योग्यता मानदंडों के आधार पर योग्य खेती का ही चयन करती हैं।
4. फसल बीमा मानक की गणना क्षेत्रीय बाधाओं, योग्य और प्राकृतिक खेती और भी अन्य कारकों की ध्यान में रखते हुए की जाती है।
5. फसल पर कोई प्राकृतिक आपदा या फिर कुछ भी विपरीत परिस्थिति में फसल को हानि होती है तो ऐसे में किसान बीमा का दावा कर सकते है।
6. बीमा कंपनियां हानि की जांच करेंगी और फसल की योग्यता के आधार पर किसान को मुआवजा राशि प्रदान करेंगी।
7. फसल बीमा योजना के तहत सरकारी और बीमा कंपनियों के द्वारा एक निश्चित समय सीमा के अंतराल पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है जिससे योजना के प्रभाव का मूल्यांकन तय किया जा सके।
इस योजना के तहत आर्थिक और सामाजिक मूल्यांकन भी किया जाता है।
फसल बीमा योजना की इकाई
फसल बीमा योजना को क्षेत्र दृष्टिकोण के आधार पर मानक किया जाता है। PMFBY उत्तर पूर्वी राज्यों में विफल साबित हो रही है। जबकि योजना के तहत सालाना 1,400 करोड़ की राशि तय की गयी है। इसके बाद भी पिछले वर्ष 8 करोड़ रूपये ही खर्च किये गए थे।
बीमा परिमाणित क्षेत्र गांव/ग्राम पंचायत स्तर पर है, चाहे इन क्षेत्रों को प्रमुख फसलों के लिए किसी भी नाम से पुकारा जाए और अन्य फसलों के लिए यह गांव/ग्राम पंचायत के स्तर से बड़ी इकाई हो सकती है।
समय के साथ, बीमा की इकाई अधिसूचित फसल के लिए समरूप जोखिम प्रोफ़ाइल वाला भू-बाड़/भू-मानचित्रित क्षेत्र हो सकता है।
किसान फसल बीमा कवरेज
1. तेल के बीज
2. खाद्य फसल
3. वार्षिक बागवानी फसलें
4. 2020 खरीफ से नामांकन 100% स्वैच्छिक बना दिया गया है
5. मानसून अधिसूचित कृषि क्षेत्र में अधिसूचित फसलें बुआई करने वाले सभी किसान, जिनके पास फसल का बीमा है, इसके लिए पात्र हैं।
6. सालाना फसलों के बावजूद, बारहमासी बागवानी फसलों की देख- रेख के लिए पायलट प्रोजेक्ट लिए जा सकते हैं बारहमासी उपज अनुमान के लिए मानक पद्धति भी उपलब्ध करवाई गयी है।
सरकारी बीमा नीतियाँ और प्रोस्टेक्शन
फसल क्षति के लिए जिम्मेदार फसल जोखिम को निम्नांकित क्रमों में बीमा योजना के अंतर्गत कवर किया गया।
जोखिम और बहिष्करण-
1 स्थानीय आपदाएँ- ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलप्लावन, बादल फटना तथा अधिसूचित क्षेत्र में अलग-अलग खेतों पर बिजली गिरने के कारण प्राकृतिक आग लगने पर अधिसूचित बीमित फसलों को होने वाली क्षति।
2 जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल की क्षति के लिए अतिरिक्त कवरेज- जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल की हानि के लिए अतिरिक्त कवरेज पर विचार किया जा सकता है।
3 कटाई के बाद नुकसान- इस कटाई की कवरेज अधिकतम दो सप्ताह तक ही उपलब्ध है। उन फसलों के लिए जिन्हें कटाई के बाद खेत में काटकर फैलाकर बंडलों में सुखाना आवश्यक होता है।ओलावृष्टि, चक्रवात, चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के विशिष्ट खतरों के विरुद्ध।
4 बुवाई से कटाई तक व्यापक जोखिम- बीमा गैर-निवारणीय जोखिमों जैसे- सूखा, बाढ़, जलप्लावन, व्यापक कीट और रोग का हमला, भूस्खलन, प्राकृतिक कारणों से आग, बिजली, तूफान, ओलावृष्टि और चक्रवात के कारण होने वाली उपज हानि को कवर करने के लिए सुरक्षा प्रदान किया जाता है।
फसल बीमा योजना की विशेषताएं
- किसान को 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी, संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग/ जिला अधिकारियों अथवा टोल फ्री नंबर (1800 200 7710) केद्वारा या राष्ट्रीय फसल बीमा की आधिकारिक पोर्टल से सूचना ली जा सकती है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लाभार्थी को अधिकतम 2 लाख की राशि का लाभ दिया जायेगा ।
- पहले वर्ष में सहायता राशि का 70 % एवं दूसरे वर्ष में 90% पौधें जीवित होने की दशा में 25 % अनुदान देय है।
- फसल बीमा योजना को कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार और संबंधित राज्य के समग्र मार्गदर्शन में चयनित बीमा कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और उनके नियामक निकायों, सरकारी विभागों जैसे वित्तीय संस्थानों के समन्वय से बहु-एजेंसी ढांचे के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
- विस्तृत जानकारी के लिए आप PMFBY के लिए भारत सरकार की वेबसाइट www.pmfby.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।
बीमा कम्पनियों की सूची
कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग ने कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) और कुछ प्राइवेट बीमा कंपनियों को उनकी वित्तीय ताकत, बुनियादी ढांचे, जनशक्ति और विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रायोजित फसल बीमा योजनाओं में भाग लेने के लिए पैनल में शामिल किया है। हल ही में पैनल में शामिल कंपनियों के नाम निम्न हैं-
- भारतीय कृषि बीमा कंपनी
- आईसीआईसीआई लोम्बार्ड
- एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी
- इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस
- चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस
- बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस
- रिलायंस जनरल इंश्योरेंस
- फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस
- टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस
- एसबीआई जनरल इंश्योरेंस
11, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस
पीएमएफबीवाई समस्या
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए मोदी जी ने फसल बीमा में कम नामांकन के लिए किसानों की पिछली योजनाओं में विश्वसनीयता की कमी को जिम्मेदार ठहराया। नामांकन में तेजी से वृद्धि फसल बीमा योजना की पहचान थी। इसका मुख्य लक्ष्य 2018-19 तक 50% फसल क्षेत्र, लगभग 98 Million हेक्टेयर को परिपूर्ण करना था।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वितीय वर्ष 2017-2018 में नामांकन संख्या के क्रम में तेजी से गिरावट आई, जिससे कवरेज 2015 के स्तर से तुरंत नीचे चला गया। 2018-’19 के लिए 50% के लक्ष्य के मुकाबले 2017-’18 में कवरेज 26% से भी कम है। फसल बीमा योजना प्राकृतिक घटनाओं के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को बीमा सुरक्षा प्रदान करने वाली है। पीएमएफबीवाई बीमा कंपनियों के लिए एक वरदान बन गई है।
जबकि किसान अस्वीकृति और मामूली मुआवजे से नाराज हैं। 2016 में लॉन्च हुए, तब से चार पूर्ण सीजन बीत चुके हैं और वित्तीय लेनदेन से पता चलता है कि बीमा कंपनियों की कमाई पहले तीन सीजन, खरीफ 2016, रबी 2016-17 और खरीफ 2017 से लगभग 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। हालांकि रबी 2017-18 सीजन दो महीने से अधिक समय बाद भी समाप्त हो गया है, दावा निपटान अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
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